पुलिस विश्वविद्यालय कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) का अपराध अनुसंधान में सकारात्मक उपयोग करें - राज्यपाल मिश्र

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पुलिस विश्वविद्यालय कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) का अपराध अनुसंधान में सकारात्मक उपयोग करें - राज्यपाल मिश्र

राज्यपाल और कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र ने कहा कि सरदार पटेल पुलिस, सुरक्षा एवं दाण्डिक न्याय विश्वविद्यालय कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) का अपराध अनुसंधान में सकारात्मक उपयोग करें। उन्होंने विश्वविद्यालय को अपराध रोके जाने के लिए  'थिंक-टैंक' के रूप में काम करने, अपराध विज्ञान से जुड़े विभिन्न अनुशासनों में उत्कृष्ट शोध और प्रभावी पुलिस शिक्षण के लिए कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अपराध विज्ञान के शिक्षण में नवाचार का भी यह विश्वविद्यालय देश-विदेश का बड़ा केन्द्र बनें।
 
राज्यपाल श्री मिश्र जोधपुर स्थित सरदार पटेल पुलिस, सुरक्षा एवं दाण्डिक न्याय विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा का व्यक्ति और समाज के विकास से अत्यन्त गहरा रिश्ता है। साथ ही, हमें शिक्षा के बेहतरीन ढांचें एवं आदर्श मूल्यों को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा वह है, जो व्यक्ति को अज्ञान, अनिश्चितताओं और अस्पष्टताओं से मुक्त करे। इसी प्रकार यह विश्वविद्यालय भी पुलिस एवं सुरक्षा के क्षेत्र में अस्पष्ट, अज्ञात और भ्रमित करने वाली जानकारियों के संदर्भ में आलोक पथ का संवाहक बने। श्री मिश्र ने कहा कि भारत सदियों तक विश्वगुरु रहा है। और दुनिया को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित किया है। नालंदा एवं तक्षशिला इसके जीते-जागते उदाहरण हैं।
 
श्री मिश्र ने कहा कि इस विश्वविद्यालय का नामकरण लौह पुरूष सरदार पटेल के नाम पर किया गया है। जिन्होंने  रियासतों का एकीकरण करते हुए छोटी-बड़ी रियासत को एकता के सूत्र में बांधने का काम किया। साथ ही, देश में मजबूत पुलिस व्यवस्था स्थापित करने में सरदार पटेल की महती भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय उनके बताए आदर्श मार्ग पर चलते हुए भारत को मजबूत पुलिस व्यवस्था देने वाले कार्मिक और अधिकारी उपलब्ध कराने के साथ ही पुलिसिंग में समय अनुरूप उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करेगा। साथ ही, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ’विकसित भारत’ संकल्प को पूरा करने में इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों का भी योगदान रहे।
 
राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के युग में साइबर अपराध सहित अन्य अपराधों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। अपराधी तकनीक का इस्तेमाल करने लगे है, ऐसे में ’स्मार्ट पुलिसिंग’ आज के समय की बड़ी जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा एवं वैश्विक चुनौतियों के इस दौर में पुलिस विश्वविद्यालय को अपने पाठ्यक्रमों को समयानुकूल, उपयोगी और अद्यतन बनाना होगा। साथ ही, विश्वविद्यालय को पुलिसिंग, आतंरिक सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, फोरेंसिक साइंस इत्यादि क्षेत्रों में शोध को अकादमिक गुणवत्ता एवं सामाजिक उपयोगिता सहित दोनों दृष्टियों से प्रभावी बनाना होगा। उन्होंने कहा कि इससे पुलिसिंग की विभिन्न विधाओं में शोध एवं अनुसंधान में युवा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकेंगे।
 
श्री मिश्र ने कहा कि वर्तमान में संगठित और साइबर अपराध के नये-नये स्वरूप देखने को मिल रहे हैं। इसलिए भारत सरकार ने आपराधिक न्याय से जुड़े तीन नये कानूनों लागू किया हैं जो न्याय की अवधारणा को मजबूत करते हैं। जिसमे समयबद्ध न्याय एवं पुलिस के लिए सीमाएं निर्धारित की गई हैं। उन्होंने कहा कि पहली बार छोटे अपराधों में सजा के तौर सामुदायिक सेवा का भी प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस विश्वविद्यालय अपने पाठ्यक्रमों में नये कानूनों के अध्यन का समावेश करे।
 
राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि अपराध विज्ञान, पुलिस विज्ञान और फोरेंसिक विज्ञान इत्यादि के तहत समय-संदर्भों और अपराध से जुड़े विशेष प्रकरणों के आधार पर पुलिस बलों के लिए नवीन पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय तैयार करे। इनमें सेवानिवृत पुलिस अधिकारियों की मदद के साथ फोरेंसिक वैज्ञानिक, मनावैज्ञानिकों, चिकित्सकों और सूचना और प्रौद्योगिकी में दक्ष विशेषज्ञों की मदद ले।
 
श्री मिश्र ने कहा कि संविधान हमारी उदात्त जीवन परम्पराओं का संवाहक है। साथ ही, उन्होंने ने युवाओं से आह्वान किया कि भारत के नव-निर्माण में आपको महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है, इसलिए संविधान में प्रदत्त मूल कर्तव्यों को आचरण में लाकर आगे बढ़ें।
 
गृह राज्य मंत्री श्री जवाहर सिंह बेढ़म ने कहा कि हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर समाज को एक नयी दिशा देने की ओर कार्य करना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वह न्याय की प्रक्रिया में नये अनुभव के साथ कार्य कर देश की प्रगति में अहम योगदान देवें।  
 
समारोह में राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कुल 10 दीक्षार्थियों को गोल्ड मेडल प्रदान किए।  साथ ही, एम.टेक (साईबर सुरक्षा) पाठ्यक्रम के वर्ष 2022 एवं 2023 में उत्तीर्ण कुल 27 दीक्षार्थियों को स्नातकोत्तर, एम.ए/एम.एससी. क्रिमिनलॉजी पाठ्यक्रम के वर्ष 2022 एवं 2023 में उत्तीर्ण, एलएल.एम क्रिमिनल लॉ पाठ्यक्रम के वर्ष 2022 एवं 2023 में उत्तीर्ण एवं बी.ए. सिक्योरिटी मैनजमेंट पाठ्यक्रम के वर्ष 2022 एवं 2023 में  उत्तीर्ण, कुल 59 दीक्षार्थियों को स्नातकोत्तर में तथा 55 दीक्षार्थियों को स्नातक में, बी.ए. सोशल साईंस पाठ्यक्रम के वर्ष 2022 एवं 2023 में उत्तीर्ण कुल 57 दीक्षार्थियों स्नातक में एवं इस विश्वविद्यालय द्वारा पहली बार 6 दीक्षार्थियों को पी.एच.डी की उपाधि प्रदान की गई।
 
आरंभ में सभी को उन्होंने संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।
 
समारोह में पुलिस विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आलोक त्रिपाठी ने प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
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