यूनानी हॉस्पिटलों की हालत खस्ता, मरीजों को अस्पताल से नहीं मिलती दवा, बाजार से खरीदनी पड़ती हैं दवा
चिकित्सक रहते है नदारद, कुछ चिकित्सक करते हैं अप डाउन
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धौलपुर । भले ही राज्य सरकार चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी होने का ढिंढोरा पीट रही हो मगर जिले के यूनानी हॉस्पिटलों पर नजर डाले तो स्थिति काफी दयनीय बनी हुई है। कारण समय पर न तो चिकित्सक बैठते हैं और न ही इन हॉस्पिटलों में दवाईयां मिलती हैं ऐसे मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता और बाजार से महंगी दवाईयां खरीदनी पड़ती हैं।
जहां एक ओर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हर क्षेत्र में विकास के नाम पर नंबर वन होने का दावा कर रहे हैं। चाहे वह चिकित्सा का क्षेत्र हो या फिर शिक्षा का हो। चिकित्सा का क्षेत्र में तो देश में पहले पायदान पर होने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है लेकिन वहीं दूसरी ओर यूनानी हॉस्पिटलों की स्थिति काफी खराब बनी है उन्हें देखकर ऐसा नहीं लगता कि राजस्थान चिकित्सा के क्षेत्र में पहले पायदान पर होगा।
अधिकारियों की प्रोपर मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है मगर इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। स्थिति ये हैं कि इन हॉस्पिटलों में हॉस्पिटल टाइम में मुश्किल से 8- 10 मरीज ही दिखाने आते होंगे, इसके बावजूद एकाध चिकित्सक इधर उधर चला जाता है उसकी अनुपस्थिति में दूसरे चिकित्सक को दिखाना पड़ता है या फिर उस चिकित्सक का इंतजार करना पड़ता है। चिकित्सक को दिखाने के बाद दवाईयां हॉस्पिटल में नहीं मिलती हैं जब मरीज हॉस्पिटल की दवाईयां मांगता है तो दवाईयां नहीं होने की बात कह कर टाल दिया जाता है। जब मरीज इन दवाईयों के लिए बाजार में जाता है तो उन दवाईयों की रेट सुनकर उसके होश उड़ जाते हैं, वजह दवाईयां काफी मंहगी होती हैं।
लेकिन ऐसी परिस्थिति में उसे दवाईयां बाजार से खरीदनी पड़ती है इस कारण मरीजों का यूनानी दवाईयों से मोहभंग होने लगा है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
बाजार से खरीदनी पड़ती है महंगी दवाई
चिकित्सालय में दिखाने आए मरीजों को चिकित्सालय से दवाई नहीं दी जाती है। मरीज द्वारा चिकित्सालय से दवा मांगने पर दवा नहीं होने की बात कहकर टाल दिया जाता है। तब जाकर मरीज बाजार में पहुंचता है और दवा की रेट सुनकर होश उड़ जाते हैं, वजह बाजार में यूनानी दवा बहुत महंगी मिलती है। ऐसी परिस्थिति में मरीजों का यूनानी चिकित्सालय से मोहभंग हो रहा है।
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चिकित्सक रहते है नदारद
चिकित्सालय में दिखाने गए एक मरीज ने बताया कि दिखाने जाने पर चिकित्सालय में एक न एक चिकित्सक नदारद रहता है ऐसी स्थिति मैं या तो उसका इंतजार करो या फिर दूसरे चिकित्सक को दिखाकर आ जाओ। इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनकी प्रोपर मॉनिटरिंग नहीं होती है इसी कारण चिकित्सक भी नदारद रहते हैं।
कुछ चिकित्सक करते हैं अप डाउन
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ चिकित्सक प्रतिदिन अप डाउन करते हैं इस कारण वे शाम को समय से पहले चले जाते हैं और चिकित्सालय में सुबह के समय लेट आते हैं। जबकि वे मुख्यालय छोड़ नहीं सकते हैं फिर भी वे प्रतिदिन अप डाउन करते हैं। इस बात की या तो किसी अधिकारी को पता नहीं है या फिर पता होते हुए भी नजरंदाज करे हुए है।